मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ रहे आश्चर्यचकित
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हो गए बेबाक, छाया रहा मातम
कीतिप्रभा, रीवा। रीवा ही नहीं मप्र की राजनीति में इमान्दार और निर्भिक नेता के रूप में पहचान बनाने वाले रीवा के लाल सुंदरलाल तिवारी को आज उनके गृहग्राम तिवनी में हजारों हजार की तदाद में लोगों ने अंतिम विदाई दी। इस अवसर पर मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा, मंत्री जीतू पटवारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल, सहित भारी संख्या में जन प्रतिनिधि व ग्रामीण लोग अश्रुपूणित आंखों से श्रद्धांजलि दी विदित हो कि पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी का निधन दिल का दौरा पडऩे से अचानक कल की सुबह 11 बजे संजय गांधी अस्पताल में हो गया था। चूंकि उनके पुत्र सिद्धार्थ राज तिवारी और पुत्री दिल्ली में होने के कारण उनका अंतिम संस्कार आज उनके गृहग्राम तिवनी में हुआ इस दौरान रीवा से लेकर तिवनी तक उन लोगों ने अपने नेता और पुत्र के रूप में जाने जाने वाले रूधे कंठों से सुंदर भैया अमर रहे कहकर अंतिम विदाई दी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व श्री निवास तिवारी के बड़े पुत्र अरूण तिवारी की मृत्यु हो जाने के बाद स्व सुंदरलाल तिवारी वकालत पेशे से निकलकर खुली राजनीति जनपद पंचायत गंगेव में अध्यक्ष पद से सुरू की जिन्होनें जनपद अध्यक्ष के पद में रहते हुए मनगवां क्षेत्र के हजारों हजार युवाओं को रोजगार के अवसर जुटाए तथा कई गांवों को विकास से जोड़ा और गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में बाखूबी पूर्ण योगदान निभाया। जिनकी कर्मठता और इमानदारी जब लोकसभा के चुनाव हुए तो उनके पिता श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी ने लोकसभा की सीट रीवा से टिकट दिलाई पर पहली दफा चुनाव में हारने के बाद दुबारा जब पुन: लोकसभा चुनाव के अवसर आए तो पुन: टिकट लेकर लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए जहां पर रीवा के लाल की आवाज लगातार सदन के अंदर गूंजती रही। इस बात से उनके स्व पिता श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी और रीवा की जनता जनार्दन सुंदरलाल के प्रति अपनत्व के भाव से देखती रही तथा इस बात का एहसास कभी भी नहीं हो पाया कि सुंदरलाल सबके लाल नहीं हैं। गत वर्ष जब श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी की मृत्यु हुई उसके बाद से लगातार संघर्ष और अपने पिता की विरासत को बनाए रखने में संघर्ष रहे। श्री सुंदरलाल तिवारी की अचानक मौत हो जाने से रीवा की जनता को गहरा दुख पहुंचा है। यहां का किसान मजदूर और युवा की आत्मा दुखित हो गई है। श्री सुंदरलाल निष्पक्ष रूप से राजनीतिक ही नहीं बल्कि उनमें मानवता और समाजवादिता स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी।
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